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27/04/10

देखो एक बेचारा

सुबह सवेरे उठकर, बॉस फाइल अभी लाया चिल्ला रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

सपने में भी मीटिंग्स schedule और reschedule करा रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

रोज़ सुबह रोज़ शाम
ट्राफ्फिक में फसा हुआ
इधर से उधर और उधर से इधर जाते लोगों को देख
बिना सोचे समझे होर्न बजा रहा है
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

रविवार की सुबह से ही सोमवार की सुबह का ग़म उसे तडपा रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

शाम होने तक न उससे कुछ समझ आता, न वो कुछ समझा पा रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

इश्क मोहब्बत प्यार इज़हार
ऐसे लफ़्ज़ों का future उससे सिर्फ अन्धकार में नज़र आ रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

जो करना नहीं चाहता वो ही किये जा रहा रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

जो करने का दिल करता है, बस वही नहीं कर पा रहा है!
देखो एक बेचारा काम पर जा रहा है!

5 comments:

  1. lolz.. kabhi kabhi to apni halat bhi is bechare jaisi ho jati hai.. i wish those days r few n far.. :D

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  2. "yeh bechara, kaam ki bhoj ka maara...issay chahiye Cinkara" :D


    bahut hi badhiya kavita thi :D

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  3. While commuting to office, I find lots of struggling lives doing the same and that includes me. I see their faces so dull. Sab bechaare kaam pe jaa rahe hain....but in the evening its exactly opposite...
    :) thats life..

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  4. @ Dolly
    :)

    @ Anjuli
    glad!

    @ Swati
    thanks!

    @ Varun
    I think that is a choice that a lot of us have made! li'il that we can do about it I guess, but take some tough decisions!

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