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09/01/11
ज्ञानचंद दोहेवाले
जब भी दिल करे बोलने का, करो अपनों से बात |
अपने अपने ही रहे, न दिन देखें न रात ||
दिन देखें न रात, सदा ही सुन-ने को तैयार|
बात तुम्हारी एक हो, चाहे बात तुम्हारी चार||
Prashant Bhardwaj, Jan'11
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